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पौधो को अपना जीवन चक्र पूरा करने के लिए कुल १८ पोषक तत्वों की आवश्यकता होती है सिलिकोन मुख्य रूप से पौधों की शक्ति तथा कठोरता को बढ़ाने तथा पोधों के उत्पाद में अपनी उच्च क्षमता के साथ जुड़ा हुआ है। सिलिकॉन रक्षा प्रतिक्रिया तंत्र द्वारा पौधों में आनेवाले रोगों के प्रति प्रतिरोधक शक्ति को बढ़ाने में सक्रिय भूमिका निभाता है यह कह पौधों में आनुवंशिक रूप सिलिकोन का संक्षिप्त इतिहास सिलिकोन मिटी में ओक्सीजन के बाद दूसरा सबसे ज्यादा मात्रा में पाये जानेवाला तत्व है। सिलिकोन डाईऑकिसाईड मिटटी का द्रव्यमान का 50-70% भाग है। हालांकि पौधे की वृद्धि और विकास में सिलिकोन की भूमिका २० वी सदी की शरुआत तक अनदेखी की गई थी, कयुकी प्रकृति में सिलिकोन की कमी विषेष लक्षण नहीं दिखाई दे रहे थे, सिलकोन की बहुतायत के कारण पौधो वैज्ञानिकोने काफी हद तक इसे नजर अंदाज कर दिया था नाईट्रोजन, फोस्फोरस और पोटेशियम के रूप में रासायणिक उर्वरकों की लगातार मांग के कारण मिटटी में सिलिकोन की उपलब्धता समाप्त हो चुकी थी। मिटटी में सिलिकोन की कमी के बारे में जागरुकता अब सिमीत नहीं समझी जाती है। सिलिकोन पौधे की वृध्धि, विकास तथा उपण के साथ साथ रोग प्रतिरोधक तत्व की तरह काम करता है। आज चावल, गन्ना, गेहु और मकाई की पैदावार बढ़ाने के लिए और ककडी, चावल, गन्ना, गेहूं ऐसे कई अन्य प्रजातियों के पौधे में मिटटी जमिन और पत्ते में फलंद जनित रोगों को नियंत्रित करने में कारगर साबित हुआ है। सिलिकोन उर्वरक और उबकरों के रूप में सिलिकोन बहुत उपयोगी है क्योंकि इन उबकरों में सिलिकोन तत्त्व प्रचुर मात्रा में पाया जाता है, हालांकि, यहि सिलिकॉन की एक अपेक्षाकृदा उच्च सामग्री है जो पौधों की जरूरतों को पूरा करता है।